Satish Poonia news, विधानसभा चुनाव परिणाम में कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें भाजपा उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया भी शामिल हैं। पूनिया ने आमेर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। अपनी हार से आहत पूनिया ने अब भविष्य में आमेर से चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है।
पूनिया ने हार के बाद सोमवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा- यह समय मेरे लिए कठिन परीक्षा की घड़ी जैसा है। परन्तु परिस्थितियों और मनोवैज्ञानिक रूप से मैं यह निर्णय करने के लिए मजबूर हूं कि मैं अब भविष्य में आमेर क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं को सेवा और समय नहीं दे पाऊंगा। पार्टी नेतृत्व को भी मैं अपने निर्णय से अवगत करवाकर आग्रह करूंगा कि यहां कि समस्याओं के समाधान के लिए योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करें।
आमेर में बड़ी-बड़ी जातियों का जंजाल, पूनिया ने ट्वीट में लिखा- लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। मैं आमेर की जनता के निर्णय को स्वीकार करता हूं। कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी प्रशान्त शर्मा जी को बधाई देता हू। आशा करता हूं कि वो आमेर के विकास को यथावत गति देते रहेंगे। जन भावनाओं का सम्मान करेंगे।
आमेर से मेरा रिश्ता दस बरसों से है। 2013 में पार्टी के निर्देश पर चुनाव लड़ने आया था। चुनाव में मात्र 329 वोटों की हार हुई। भाजपा की सरकार के दौरान हमने यहां विकास को मुद्दा बनाकर काम किया। हालांकि लोग कहते हैं कि यहां बड़ी-बड़ी जातियों के जंजाल में जाति से ऊपर उठकर कोई विकास की सोचे, ये थोड़ा मुश्किल है। 2013-2018 में हमने कोशिश की। थोड़ा सफल हुए। विकास कार्यों से लेकर कोरोना के दौरान सेवा कार्यों से लोगों में भरोसा पैदा करने की कोशिश की थी। शायद लोगों को समझाने में हम विफल रहे।
यह हार मेरे लिए आघात जैसी, उन्होंने लिखा- माना कि चुनाव में हार जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं। आमेर की यह हार मेरे लिए सोचने पर मजबूर करने वाली है। एक आघात जैसी है। हमने सपने देखे थे कि आमेर इस बार रिवाज बदलेगा। हम मिलकर सरकार के माध्यम से कार्यकर्ताओं का सम्मान और जनता का बेहतरीन काम करके इसे आदरश विधानसभा क्षेत्र बनाएंगे। ऐसा नहीं हुआ, यह समय मेरे लिए कठिन परीक्षा की घड़ी जैसा है।
चुनाव से पहले भी सीट बदलने की चर्चा, दरअसल, चुनाव से पहले भी चर्चा थी कि सतीश पूनिया अपनी विधानसभा सीट बदलना चाहते थे। वे आमेर की जगह झोटवाड़ा व सांगानेर से चुनाव लड़ना चाहते थे। केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें इस बात की इजाजत नहीं दी।
केवल नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को सीट बदलने की छूट दी गई थी। राठौड़ ने इस बार चुरू विधानसभा की जगह तारानगर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद भी वह चुनाव हार गए।