rajasthan samachar, सरिस्का टाइगर रिजर्व में मंगलवार को इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया। अब, दो रूटों पर ये बसें चलेंगी, जिससे श्रद्धालुओं को पांडुपोल मंदिर तक पहुंचने में आसानी होगी। एक बस की क्षमता अधिकतम 20 सवारी की है, और दोनों रूटों से एक साथ 600 श्रद्धालु पांडुपोल मंदिर तक पहुंच सकेंगे। कंपनी अब किराया तय करके रिपोर्ट सरिस्का प्रशासन को सौंपेगी।

सफर में तीन घंटे का समय लगेगा

तमिलनाडु की कंपनी एक्विला की इलेक्ट्रिक बसों को सरिस्का प्रशासन और कंपनी के अधिकारियों ने टहला और सरिस्का गेट से पांडुपोल मंदिर तक रवाना किया। एक तरफ से हनुमान मंदिर तक की दूरी 20 किमी है, इस तरह कुल यात्रा 40 किमी होगी। इस सफर में बस को लगभग तीन घंटे का समय लगा, जिसमें आधे घंटे का पार्किंग टाइम भी शामिल था। बस को पांडुपोल मंदिर की पार्किंग से मोड़कर हर दृष्टि से जांचा गया, ताकि भविष्य में किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की वजह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, जिसमें वन्यजीवों को पेट्रोल-डीजल के वाहनों से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात की गई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि इसे 31 दिसंबर से पहले लागू किया जाए, जिसके बाद ट्रायल रन की प्रक्रिया पूरी की गई। वही इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से खर्च कम होगा। प्रति सवारी 25 रुपए तक एक साइड का किराया हो सकता है। हालांकि इससे कम-अधिक संबंधित कंपनी तय करेगी। उसके बाद रेट सरकार मंजूर करेगी।

यह पहल सरिस्का टाइगर रिजर्व और आस-पास के क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और श्रद्धालुओं के यात्रा अनुभव को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगी।